Thursday 26 June 2014

इंसान तेरे रूप अनेक



चारों तरफ देखें  या हम अपने आपको तलाशें पर बिल्कुल ईमानदारी से तो पाएगें कि हम सोचते कुछ हैं , कहते कुछ हैं और तो और करते कुछ हैं। गिरगिट को भी मात दे दी है हमने रंग बदलने में। छोटी छोटी बात को ही लीजिए अगर आपका कोई कनिष्ठ आपसे आगे बढ़ने लगता है तो आप उसके सामने तो उसकी कितनी तारीफ करेंगे पर उसके हटते ही आप क्या करेगें – आप सोचेगें चापलूस कहीं का बिना काम करे ही आगे बढते जा रहा है और हमें देखो कितनी मेहनत से काम करते हैं पर कुछ हो ही नहीं पा रहा। बास से भी हम कितनी मीठी मीठी बातें करते हैं पर अगर बॉस नहीं आता तो कितना जशन मनाते हैं काम को छूने का मन ही नहीं करता। नेताओं की बोली और कर्म की खाई तो जगजाहिर है। मैने भी कई बार ऐसा किया है कि मन ही मन जिसे मैं कोस रही होती हूं उससे मुझे मुस्करा कर मिलना पड़ता है और तो और घर में खाने का निमंत्रण भी देना पड़ता है। पर अब मैने जब अपने मन को अपना दोस्त बना लिया है तो मैं पिछले कई महीनों से इस बात का ध्यान रखने लग गई हूं कि कहीं मैं जो बोल रही हूं वो मेरी सोच से अलग तो नहीं। मैं वहीं बोलती हूं जो मैं सोचती हूं और वहीं अपने जीवन में भी उतारने की कोशिश कर रही हूं। और यकीन मानिए मेरा मन बहुत हल्का रहता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप लोगों से लड़ना शुरु कर दीजिए मेरा कहना है कि अपने शब्दों में सादगी, मधुरता के साथ ही जरा सच्चाई भी ले आए तो फिर अपने मन की खुशी की कोई सीमा ही नहीं रहती------------मीनाक्षी भसीन 26-06-14

इंसान तेरे रूप अनेक

इंसान तेरे रूप अनेक,  इंसान तेरे रूप अनेक
भीतर कुछ है बाहर कुछ है,
मुखौटा अपना उतार कर देख।

बातों का तू जादूगर है, हर अवसर पर तेरी नजर है
शब्दों का जाल बिछाकर, लोगों का मन बहलाकर
काम खुद के बनाता अनेक।

सच्चाई तेरी वाणी में,  ईमानदारी तेरी कहानी में
बोल बोल के झूठ तू
भाग्य को अपने, मिटटी मे फेंक।

देख कर आश्चर्य होता है मुझे,
विष इतना भावनाओं में भरकर
पर होंठो पर लहरती मुस्कान लाकर
कैसे खुद को तू कहता नेक।


किंतु चाहे तू सबको धोखा दे दे
चाहे अपने जमीर का सौदा कर ले
चाहे मंजिल तू हांसिल कर ले
गिरा दे औरों की नजरों में मुझे और बहा दे आशियाना मेरे खवाबों का
पर................खुदा की नजरों में तो मुझे गिरा कर देख, मेरे सपनों पर हक जमा कर देख
जा, तू जा अरे तू उसकी रोशनी में जाकर खुद को देख     


मीनाक्षी भसीन © सर्वाधिकार सुरक्षित 26-06-14