Wednesday 20 August 2014

जीवन की धूप में छाया है मां




सभी को नमस्ते----भई सच कहुं तो मेरे लिए तो हरेक दिन ही मदरस डे होता है क्योंकि अक्सर शादी के बाद मां की जितनी याद, लड़कियों को आती है उतनी शायद ही किसी को आती हो। कहते हैं जब हम किसी के साथ रहते हैं तो हमें उसकी कीमत का अंदाजा नहीं होता। ऐसा नहीं की हम सब अपने माता-पिता को प्यार नहीं करते हैं किन्तु उनके प्यार की याद हमें तब ही आती है जब वो हमसे दूर होते हैं। सच में यह बड़ा अजीब सा रिश्ता होता है। मेरी एक परेशानी चाहे वह छोटी सी ही क्यों न हो अगर मां को फोन पर ही पता लगे, तो पापा कहते हैं कि उनकी नींद उड़ाने के लिए काफी होती है। चाहे वो खुद अपने लिए खाना बनाए या नहीं बनाए, चाहे उनकी अपनी तबीयत जितनी मर्जी खराब हो पर जब मैं जाती हूं तो मुझे खिला-खिला कर वह इतना खुश होती हैं। आप ही बताईए--है दुनिया में कोई ऐसा रिश्ता जिसमें इतना स्नेह हो, इतनी फिक्र हो। हम बहुत किस्मत वाले हैं कि भगवान ने हमें अपना एक रुप हमारे घर में दिया है जो हमेशा हमारी सेवा में तत्पर रहता है वो भी बिना किसी फीस के। सब रिश्तों में कहीं न कहीं लेन-देन आ ही जाता है। पर मां और बच्चों के रिश्ते में सिर्फ देना ही देना है तो आपसे मेरा निवेदन है कि जरा इस रिश्ते की कद्र कीजिए और हरेक दिन को मदरस डे मानिए

---------मीनाक्षी 20-08-14

जीवन की कड़ी धूप में तू शीतल छाया है मां
देह में चाहे घाव लगे हों, तेरा स्पर्श मलहम है मां

मतलबी इस दुनिया में इक तेरा रिश्ता नि:स्वार्थ
चाहे कुछ भी रहे न हमारा तू न छोड़े हमारा साथ
असफलता की घोर सहर में तू सुनहरी किरण है मां

बेपरवाह खुद से रहती, तू सदा रहती बच्चों में लीन
तेरे देने का अंत नहीं कोई, बाकी सब तो हैं दीन हीन
इच्छाओं की प्यासी धरती पर तू इक अर्मत बूंद है मां

जननी तू है संवारती हमारा तन, मन और घर बार
कोशिश कर लें जितनी भी हम, न चुका सकेगें तेरा उपकार
निराकार नहीं है परमात्मा तू ही खुदा , ईश्वर है मां----------


मीनाक्षी भसीन 21-08-14                © सर्वाधिकार सुरक्षित





Wednesday 13 August 2014

न जाने कहां मेरी फाईल खो गई

पिछले सात वर्षों से सरकारी नौकरी कर रही हूं। कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मैं यह नहीं कह रही हूं कि सब सरकारी लोग एक जैसे होते हैं। किन्तु कुछ परेशानियां सभी दफतरों में एकसमान रुप से सभी झेल रहे होते हैं और तो और आस-पास भी हर जगह लोग सरकारी दफतरों में अपने कटु अनुभवों की चर्चा करते हुए देखे जा सकते हैं। आज आखिरकर मैने अपने लेखनी में इन्हें उतारने की कोशिश की है।
न जाने कहां मेरी फाईल खो गई
मुझे नींद न आए, मुझे चैन न आए, मुझे चैन न आए----
न जाने कहां मेरी फाईल खो गई, न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--
सरकारी दफतर में पाकर नौकरी तो जैसे मेरी तकदीर ही सो गई न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--

जब भी कोई दूं एप्लीकेशन
मेडीकल, एलटीसी लेने की
इतनी हलचल रहती दिल में
रहती न मैं फिर सोने की
अरे कोई ढूंढ के लाए--- अरे कोई आगे बढाए----- न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--
सब कहते हैं, बहुत काम है
टाईम मिले न बतियाने का
फाईलों के ढेर, टेबल पे सजा के
ठेका मिला इन्हें, सीट से गायब हो जाने का
मेरा तन मन कांपे
जाने क्या-क्या भांपे------------ न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--
कोसू खुदा को, अरे खुदा
क्यों मेरा ये एक्सीडेंट हुआ
तन का दर्द तो सह लूंगी मैं
पर बैचेनी का यह रोग बुरा
चोरी पर ये सीनाजोरी इनकी ------------ न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--
तीन महीने पहले, दे दूं आवेदन
एल टी सी पे जाने का
पर तीन सौ बार गुम हो जाए मेरा कागज
मन न माने अब तो खाने का
कहां कम्पलैंट लिखाउं, कहां फरियाद सुनाउ----- न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--
मिली है सर्विस सरकारी, तो कदर तो इसकी जानो तुम
सहने पड़ते तुमको फांके, एहसान खुदा का मानो तुम
अरे कोई जुगत लगाओ
इनकी आत्मा को जगाओ------- न जाने कहां मेरी फाईल खो गई--
आपकी प्रतिक्रियाओं का मुझे इंतजार रहेगा-------
मीनाक्षी भसीन 13-08-14© सर्वाधिकार सुरक्षित

Wednesday 6 August 2014

टेंशन का फैशन



टेंशन का फैशन

बन गया देखो, टेंशन का फैशन
तुम संभालो खुद को, आया टेंशन का फैशन------


बचपन से ही मां कहती थी, पढ़ना लिखना जरुरी है
किसी के आगे हाथ न फैलाना, नौकरी पे जाना जरुरी है
पहले थी पैसे बनाने की टेंशन
अब है पैसे के खो जाने की टेंशन
बन गया देखो टेंशन का फैशन
तुम संभालो खुद को आया टेंशन का फैशन---------


हर दिन मिलते नए लोगों से, नए विचारों की मचती रहे धूम
इंडीपैंडेंट ही होते ही, शादी के मनसूबों को लेते हम चूम
पहले होती, रिश्ते बनाने की टेंशन
बाद में होती है, रिश्ते निभाने की टेंशन
बन गया देखो टेंशन का फैशन
तुम संभालो खुद को आया टेंशन का फैशन---------


इंतजार में तेरे मैट्रो, खड़े-खड़े होती है कल्पनाओं की बारिश
जल्दी से हो जाए मेरी प्रमोशन कब से मन में रही है ख्वाईश
पहली थी नौकरी पा जाने की टेंशन
बाद में होती है आगे निकल जाने की टेंशन
बन गया देखो टेंशन का फैशन
तुम संभालो खुद को आया टेंशन का फैशन---------

ऑफिस का तो मेरे दोस्तों, बड़ा अजब सा चाल-चलन है
काम को कैसे टाला जाए, इनकी नित यह जददोजहत है
पहले होती यहां, नम्बर बनाने की टेंशन
बाद में होती, पोल खुल जाने की टेंशन


बन गया देखो टेंशन का फैशन
तुम संभालो खुद को आया टेंशन का फैशन---------



आप को हमने मारी ठोकर, नमो नमो के मंत्र जपाए
मोदी जी तो करे रोज सैर सपाटे, आम आदमी के दिन अच्छे न आए
अमीरों को रहती खरीददारी की टेंशन
गरीबों को रहती है सूखी रोटी की टेंशन
बन गया देखो टेंशन का फैशन
तुम संभालो खुद को आया टेंशन का फैशन---------


इतनी भीड़ हो गई दिल्ली में साथ चले तो भी खो जाए
प्रदूषण के थप्पेड़े भी सबको, रोगों की चपेट में लाए
पहले होती है युवा बन जाने की टेंशन
बाद में होती है बुढ़ापा आ जाने की टेंशन

मंडे से फ्राईडे तक तो प्रभु हम रेस में दिन रात भागे
शुक्रवार की शाम तक तो थकावट से भूख प्यास भी भागे
शनिवार निकले पेंडिग कामों को निपटाने में
इतवार गुजरे फिर से सोमवार के आने में
पहले थी बीजी हो जाने की टेंशन
अब होती है समय न मिल पाने की टेंशन




आपकी प्रतिक्रियाओं का मुझे इंतजार रहेगा-------
मीनाक्षी 6-08-14© सर्वाधिकार सुरक्षित