सभी को नमस्ते----भई सच कहुं तो मेरे
लिए तो हरेक दिन ही मदरस डे होता है क्योंकि अक्सर शादी के बाद मां की जितनी याद,
लड़कियों को आती है उतनी शायद ही किसी को आती हो। कहते हैं जब हम किसी के साथ रहते
हैं तो हमें उसकी कीमत का अंदाजा नहीं होता। ऐसा नहीं की हम सब अपने माता-पिता को
प्यार नहीं करते हैं किन्तु उनके प्यार की याद हमें तब ही आती है जब वो हमसे दूर
होते हैं। सच में यह बड़ा अजीब सा रिश्ता होता है। मेरी एक परेशानी चाहे वह छोटी
सी ही क्यों न हो अगर मां को फोन पर ही पता लगे, तो पापा कहते हैं कि उनकी नींद
उड़ाने के लिए काफी होती है। चाहे वो खुद अपने लिए खाना बनाए या नहीं बनाए, चाहे
उनकी अपनी तबीयत जितनी मर्जी खराब हो पर जब मैं जाती हूं तो मुझे खिला-खिला कर वह
इतना खुश होती हैं। आप ही बताईए--है दुनिया में कोई ऐसा रिश्ता जिसमें इतना स्नेह
हो, इतनी फिक्र हो। हम बहुत किस्मत वाले हैं कि भगवान ने हमें अपना एक रुप हमारे
घर में दिया है जो हमेशा हमारी सेवा में तत्पर रहता है वो भी बिना किसी फीस के। सब
रिश्तों में कहीं न कहीं लेन-देन आ ही जाता है। पर मां और बच्चों के रिश्ते में
सिर्फ देना ही देना है तो आपसे मेरा निवेदन है कि जरा इस रिश्ते की कद्र कीजिए और
हरेक दिन को मदरस डे मानिए
---------मीनाक्षी 20-08-14
जीवन
की कड़ी धूप में तू शीतल छाया है मां
देह
में चाहे घाव लगे हों, तेरा स्पर्श मलहम है मां
मतलबी
इस दुनिया में इक तेरा रिश्ता नि:स्वार्थ
चाहे
कुछ भी रहे न हमारा तू न छोड़े हमारा साथ
असफलता
की घोर सहर में तू सुनहरी किरण है मां
बेपरवाह
खुद से रहती, तू सदा रहती बच्चों में लीन
तेरे
देने का अंत नहीं कोई, बाकी सब तो हैं दीन हीन
इच्छाओं
की प्यासी धरती पर तू इक अर्मत बूंद है मां
जननी
तू है संवारती हमारा तन, मन और घर बार
कोशिश
कर लें जितनी भी हम, न चुका सकेगें तेरा उपकार
निराकार नहीं है परमात्मा तू ही खुदा ,
ईश्वर है मां----------
मीनाक्षी भसीन 21-08-14
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