आज
सोचा है आसमां में उड़ने को
आज
सोचा है अपने मन की करने को
गुजार
दिया जीवन सबकी बात सुन सुन कर
आज
सोचा है अपनी बात कहने को
बन
गए मशीन जैसे ऑफिस के डिब्बे में रह रह कर
दिखने
लगे उर्म से ज्यादा
ग्रामीण सेवा के धक्के खा खा कर
आज
सोचा है फिर से युवा बनने को
सब
काम करवा के कहते हैं कि आखिर तुमने किया क्या है
मेरे
लिखे में कहते हैं कि इसमें नया क्या है
आज
सोचा है सबको जवाब देने को
मीनाक्षी-------------------------29-04-14
© सर्वाधिकार सुरक्षित
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