जीवन
जीवन एक सफर
है मानो न मानो चलना तो है
दुनिया यह एक
अजब सराय चाहो न चाहो
बसना तो है
मेरा तेरा करते करते उर्म बिता दी मैने सारी
स्वार्थ सेधे मैने अपने बहुत दिखाई होशियारी
जोड़ जोड़ कर रख लें जितना सब कुछ यही पर रखना तो है
पैसा बहुंत है, आराम बहुत है कमाई सुविधाएं मैने सारी
हैरानी तो अब
है मुझको क्यों रहे मन पि र भारी भारी
हालातों से नजर
मिलाकर आगे मुझे बढ़ना तो है
तुम्हें बनाकर दोस्त अपना आखिर मिल गया मुझे सुख आत्मा का
चाहे जितने घने हो बादल साथ मेरे हैं बल परमात्मा का
जीवन मंच की लीला से हम
सबको गुजरना तो है........................
मीनाक्षी भसीन(25.07.13) © सर्वाधिकार
सुरक्षित
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